शशांकासन से इस आसन में जरा सा अंतर होता है इस आसान को करने के लिए हाथ आगे की ओर नहीं फैलाएं जाते बल्कि मुठियां बांधकर नाभि के सामने खड़ी हुई जमा कर और आगे झुक कर माथा पृथ्वी पर टिकाया जाता है दोनों मुठियां जाँघ और पेट के बीच में पड़कर बड़ी आंत तथा मलाशय पर भारी दबाव बनाती हैं जिससे मलाशय का शुद्धिकरण अच्छी तरह होता है और मलाशय की विसर्जन क्रिया में सुधार होता है इस स्थिति में आपने शिशुओं को विश्राम करते हुए अवश्य देखा होगा छोटे बच्चों के शारीरिक विकास की गति में तेजी इसी कारण आती है और इस आसन में शरीर को पूरी तरह आराम मिलने के कारण ही इस आसन को शिशु आसन कहते हैं।
शिशुआसन के फायदे
शरीर मे स्फूर्ति आती है इस आसन के द्वारा माइग्रेन जैसी समस्या से भी आसानी से छुटकारा मिल जाता है शिशुआसन में वज्रासन के सारे लाभ मिलते है
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