Friday, December 8, 2017

धनुरासन और इसके फायदे

धनुरासन के लाभ


  1. पाचक रसों में वृद्धि कर पतले दस्त भूँख न लगना, भोजन सही से न पचना जैसी समस्याओं को दूर करता है।
  2. कड़े से कड़े और पुराने कब्ज को आँतों से बाहर निकालने योग्य स्थिति निर्मित करता है
  3. पेट के अंदर के सभी अंगों एवं श्वास संस्थानो की मालिश करता है
  4. पेट और कमर की चर्बी को कम कर सुन्दर और फुर्तीला बनाता है
  5. रीढ़ की हड्डी तथा हाथ पैरों की मांसपेशियों को स्वस्थ और पुष्ट बनाता है
  6. रक्त चाप, पाचन तंत्र व्यवस्थित होने से सुचारू गति से चलते हैं काम शक्तियों का नियमन कर स्वभाव में चंचलता और सरलता लाता है और यह असर एड्रिनल, थायराइड और थायमस ग्रंथियों के प्रभावित होने के कारण होता है।
  7. डायबिटीज मरीजों के लिए यह आसन बहुत ही सहायक है इस आसन को करने से अग्नाशय ग्रंथि स्वथ्य होती है जिससे इन्सुलिन का उत्पादन शरीर मे बढ़ता है जिससे यह आसन डायबिटीज रोगियों के लिए वरदान है।


धनुरासन से हानि

जिन पुरुषों का प्रॉस्टेट ग्लैंड बढ़ा हुआ हो, हाई ब्लड प्रेसर मरीज,हृदय रोगी, जिनकी आंतों में अल्सर हो या जिन्हें हर्निया हो ऐसे लोगों के लिए यह आसन निषेध है ऐसे लोग यह आसन करेंगे तो शरीर को हानि पहुंच सकती है।

धनुरासन की खास विशेषता
शलभासन, हलासन, सर्पासन, मकरासन, नौकासन के लाभ इसी आसन से मिल जाते हैं।

धनुरासन
समतल भूमि पर कोई दरी बिछाकर पेट के बल लेट जायें पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए अपनी दोनों एड़ियों को दोनों नितंबों पर रखें अब अपने दोनों हाथ बढ़ाकर पंजों के नीचे टखनों को हाथों से अच्छी तरह पकड़ लें अब पेट में साँस भरते हुए हाथों से पकड़े हुए ही पैरों को ऊपर की ओर तानते हुए छाती, गला, मुख और दूसरी ओर से जाँघे और घुटने ऊपर की तरफ उठाते जाएं और शरीर द्वारा धनुष के आकार की स्थिति बनाए इस स्थिति में जब तक साँस रोक सकते हैं रोके रहे और शरीर को पूरा तनाव देते रहें फिर धीरे धीरे साँस छोड़ते हुए शरीर के उठे हुए भाग को नीचे लाएं पहले हथेलियों की पकड़ को छोड़े और पैरों को सीधा करें और थोड़ी देर के लिए रुके प्रतिदिन इस आसन को पांच छः बार अवश्य करें और सांस लेने व छोड़ने की स्थिति में निरंतर वृद्धि करते जायें।

दोलन धनुरासन
ऊपर दी गयी विधि के अनुसार पेट मे साँस भरे हुए धनुरासन में आने पर शरीर में नाभि को धुरी बनाकर शरीर को आगे पीछे लुढ़काये इस आसन से छाती, पेट के सभी अवयवों तथा जाँघों की मसाज होती है और इनमें मजबूती आती है।

सावधानी
यदि शरीर में चर्बी ज्यादा होने की वजह से या रीढ़ और जोड़ों के कड़ेपन की वजह से यदि इस आसन की स्थिति बनाने में तकलीफ हो रही है तो जबरदस्ती न करे रोज़ थोड़ा थोड़ा कोशिश करे शरीर मे से चर्बी कम होगी मांसपेशियों में लचक आएगी और रोज़ अभ्यास करने से एक समय के बाद आप इस आसन को पूरी तरह कर पाएंगे और आपका शरीर सुन्दर और स्वथ्य बनेगा।

By Sandeep Kumar Sunder

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