इस दिवाली अब तक की सबसे
बेहतर दिवाली कैसे मनाये? बच्चे जब पटाखे जलाए तब कोई बड़ा उनके साथ रहना चाहिए कॉटन के कपड़े पहने,
सिल्क के कपड़े पहनकर पटाखे न जलाये और सिल्क के कपड़े पहनकर पटाखे जलाने वालों के आस
पास से नहीं जाए। घर के आस पास एक दो बाल्टी बालू, मौरंग या सूखी मिट्टी या आग बुझाने
वाला सिलेंडर भी साथ रखें। गांव में राकेट का इस्तेमाल हो सके तो न करे पटाखे खुले
स्थान या मैदान में छुड़ाए जिससे आग लगने की संभावना न रहे।
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शहरों में भी जरूरी है पटाखे
खुले स्थान पर जलाए जिससे आग लगने की सम्भावना कम रहे बड़े शहरों में दीवाली के जशन में लोग यह भूल जाते हैं कि
दिवाली की रात जो पटाखे वो जलाते हैं पूरे हफ्ते भर वही प्रदूषण उन्हें उनके
परिवार और आस पास के उन बेकसूर लोगो को भी भुगतना पड़ता है जो लोग इसके जिम्मेदार
भी नही होते हैं और यह बारूद का धुँआ बीमार लोगों के लिए बहुत हानिकारक होता है।
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कभी जलता हुआ रॉकेट किसी के
घर में घुस जाता है और घर के अन्दर भी फट जाता है हम यह जान भी नही पाते और उसे
किसने छोड़ा है इसलिए राकेट हमेशा बोतल में रखकर ही छुड़ाए। पटाखे छुड़ाते समय हमें जरा समझदारी से काम लेना चाहिए और हम
अपने जरा से मनोरंजन के लिए कोई ऐसा काम न करें जिससे किसी को शारिरिक या अन्य किसी
रूप से हानि पहुँचे। बड़ो को हमेशा पटाखे छुड़ाते समय बच्चों के साथ रहना चाहिए जिससे
उन्हें किसी तरह की शारीरिक हानि न हो और खुद को या किसी और को कोई नुकसान पहुँचे
साथ मे अपना भी मनोरंजन करे। बड़े भी पटाखे जलाते समय अपना ध्यान अपने पटाखों पर
ज्यादा रखे क्योंकि कई बार हमारा ध्यान भटक जाता है और हमारे हाथ में जलती माचिस
की तीली या फुलझड़ी या पटाखा होता है जो हमारे हाथ में दग जाता है और कोई बड़ा हादसा हो
जाता है इसलिए हमें पटाखे जलाते समय अकेले नही होना चाहिए किसी के साथ रहना चाहिए
जिससे सब मिलकर दिवाली जैसे खूबसूरत त्योहार का भरपूर आनंद उठा सके और सुरक्षित भी
रहे।
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फैशन के इस दौर में नए नए
डिज़ाइन के पटाखे और मोमबतियाँ आ रही हैं जो खुद तो जलकर खतम हो जाती हैं लेकिन
अपना अस्तित्व छोड़ जाती हैं पटाखों और मोम बतियों में इनके जल जाने के बाद इनकी
बची हुई प्लास्टिक और बारूद वाले कागज के टुकड़े वातावरण प्रदूषित कर देते है जिसका
असर पूरे हफ्ते भर देखने को मिलता है इसलिए शहरों का माहौल अच्छा बनाये रखने में सरकार
की और अपनी खुद की मदद करे जिससे बीमारियां न फैले।
मेट्रों शहर में हर साल
दीवाली की रात के बाद पूरे हफ्ते भर वायु प्रदूषण इस तरह से फैल जाता है कि दिल्ली
जैसे शहरों में सांस लेने तक की परेशानी हो जाती है और इस प्रदूषित वातावरण के
जिम्मेदार हम या हमारे आस पास के लोग होते हैं जिन्हे हम कभी मना नही करते और और
तो और इन पटाखों की वजह से कई बार ऐसे बड़े हादसे हो जाते हैं कि किसी परिवार के
लिए यह खुशियों की रात काली रात बन जाती है कभी जलता हुआ राकेट किसी के घर में घुस
जाता है और वही फट जाता है जिससे लोग कई बार बुरी तरह से झुलस जाते हैं और जिंदगी
में फिर पटाखे न जलाने की कसम खा लेते हैं इसलिए बेहतर यही है कि हम हादसा होने से
पहले ही संभल जाएं और अगर पटाखे जलना ही है तो खुले मैदान में जाकर
जलाये और शहर और गांव को सुरक्षित बनाएं।
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दिवाली खुशियों का त्योहार
है खुश रहिए और दूसरों को भी खुशियाँ बाँटिये और कोई भी ऐसा काम मत करिए कि जिसकी
वजह से खुद का और न ही दूसरे परिवार
का भविष्य बर्बाद हो।
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दीवाली में अपनी मेहनत की
कमाई को जलाने की बजाय अपना मनोरंजन आप अच्छी डिशेस खाकर मूवी देखकर या अपने
परिवार के साथ और भी अन्य
दूसरे अच्छे तरीकों से कर सकते जिससे न तो कोई जलेगा और न ही
कोई शहर में ऐसा प्रदूषण फैलेगा कि शहर में किसी तरह की कोई बीमारी होगी दीवाली के
दिन अपनी मेहनत की कमाई को जलाने की बजाय जीवन में कम से कम एक बार गरीब और अनाथ बच्चों को
नए कपड़े और मिठाईयां बाँटिये और फिर आपको जो सुकून मिलेगा वह दीवाली की रात धुंए
में पटाख़े जलाकर प्रदूषण फैलाने से ज्यादा बेहतर होगा उनके दिलों से निकलने वाली
दुआएं आपके जीवन में कामयाबी के हर रास्ते खोल देगी और आप खुद में अलग सा गर्व
महसूस करेंगे।
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इसलिए दीवाली में जितना हो
सके लोगों की मदद करे लोगों में खुशियाँ बांटे और खुशियों के दीपक से चारों तरफ
खुशियों और आनंद का प्रकाश फैलाए और महौल में एक नई ऊर्जा का संचार करे।
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मेट्रों शहर में जहाँ दूषित
वायु पूरे हफ्ते भर छायी रहती है इसका मुख्य कारण शहर में बड़ी बड़ी बिल्डिंग और
चारो ओर गाड़ियों दुकानों से खचाखच भरा हुआ माहौल होता है जहां खुली जगह न पाकर बारूद का धुँआ वहां फंस के रह जाता है और जिसका खामियाजा उन बेकसूर लोगों को भी
भुगतना पड़ता है जो उसमे शामिल नही होते और उनमे से कोई आप के परिवार का सदस्य भी
हो सकता है इसलिए समस्या का अगर समाधान होना जहां बहुत मुश्किल हो वहां समझदारी
इसी में है कि हम उस समस्या को ही न शुरू होने दे।
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दिवाली में जल जाने पर राहत
के कुछ उपाय:
- दिवाली के
समय घर में जलने पर लगाने वाली एंटीसेप्टिक क्रीम जरुर रखे (इसके अलावा घर
में उपलब्ध कुछ घरेलु नुस्खे भी इस्तेमाल कर सकते हैं)
- जल जाने पर
लाल टमाटर को सलाद की तरह पतला काटकर जले हुए स्थान पर लगाये आराम मिलेगा और
दर्द काफी हद तक कम हो जायेगा।
- जले हुए
स्थान पर टूथपेस्ट भी लगा सकते हैं ठंडक और दर्द से आराम मिलेगा टूथपेस्ट सूख
जाने दीजिये फिर इसे कई बार लगा सकते हैं।
- घर में अगर
बर्फ है तो जली हुई जगह पर लगाये जलन कम हो जाएगी और आराम मिलेगा।
- ठन्डे पानी
में भी अपने शरीर का जला हुआ भाग भीगा कर रख सकते हैं, ठंडक और आराम मिलेगा।
- अलोवेरा के पत्तों को काटने से
निकलने वाला द्रव पदार्थ भी जली हुई जगह पर लगाने से राहत मिलती है।
अगर आपको यह जानकारी अच्छी
लगी तो इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों से शेयर करिए और एक बेहतर समाज बनाने
में मदद करे।
आप और आप के परिवार के सभी
सदस्यों को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं, सुरक्षित रहिए और लोगों को सुरक्षित रहने
का संदेश दीजिए।
By
Sandeep Kumar Sunder
If you like this article share to others, Happy Diwali to dear all..thankyou.
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