बच्चों को शारीरिक, मानसिक या यौन प्रताड़ना देना या उनसे हिंसक बातचीत करना या
धमकी देने को चाइल्ड एब्यूस कहते है आज दुनिया में करोड़ो बच्चों का शोषण होता है एक्सपर्ट्स के मुताबिक
दुनिया में लगभग 1.2 करोड़ बच्चों का शोषण हर साल होता
है जिसमें यौन शोषण की संख्या ज्यादा है भारत में लगभग दर्जन भर लड़कियों का रेप
हर रोज होता है कुछ देशों में बाल शोषण एक आम बात है बाल शोषण को रोकने के लिए दुनिया
में कई संस्थाए काम कर रही हैं वन्द्रेवाला फाउंडेशन जो की मुंबई में है
इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर क्राइम प्रीवेंशन एंड विक्टम केयर चेन्नई में, आई थॉट
दिल्ली में, यूनिसेफ और इसके अलावा भी बहुत सी ऐसे संस्थाएं हैं जो बाल शोषण को
रोकने के लिए कार्य कर रही हैं महाराष्ट्र सरकार की महिलाओं और बच्चों की मदद के लिए
खुद की भी एक हेल्पलाइन है देश में लगभग दस से ज्यादा संस्थाएं कार्यरत हैं फिर भी बाल
शोषण कम नहीं हो रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 11 में से एक बच्चा पढ़ने जाने की बजाय काम पर
जाता है लगभग 47 प्रतिशत लड़कियों की शादी
18 साल से पहले कर दी जाती है जिसमें से 30 प्रतिशत उन्नीस साल की उम्र से पहले
माँ बन जाती हैं भारत में 17.7 प्रतिशत बच्चे किशोरावस्था में ही स्कूल छोड़ देते
हैं जो की दुनिया के ऐसे बच्चों की आबादी का 14 प्रतिशत है। दुनिया में बाल शोषण
के केस में भारत की जगह 10 में तीन से ज्यादा हैं (UNICEF) यूनाइटेड नेशन इंटरनेशनल
चिल्ड्रेन इमरजेंसी फण्ड (जो की बच्चों की सहायता के लिए काम करने वाली एक संस्था
है) की रिपोर्ट के मुताबिक 48.4 प्रतिशत से ज्यादा लडकियां यह सोचती है कि वह लड़का
होती। 5 से 11 साल के बच्चों का बाल शोषण ज्यादा होता है इनमें लड़के लड़कियों की
संख्या बराबर ही है 88.6 प्रतिशत बच्चे शारीरिक और 83 प्रतिशत मानसिक रूप से
अभिभावकों द्वारा प्रताड़ित किये जाते है बहुत से बच्चे यह समझते भी हैं की उनका
शोषण किया जा रहा है लेकिन उनके दिमाग में डर बैठ जाने के कारण यह किसी को बता
नहीं पाते कि उनके साथ कुछ गलत किया जा रहा है।
पिछले दिनों देश में हुई कुछ घटनाओ ने तो देश को और भी शर्मशार कर दिया है
बालशोषण ज्यादातर ऐसे बच्चो के साथ होता है जिनकी अर्थिक स्थिति कमजोर होती है
लेकिन जहाँ माँ बाप अच्छी फीस भर कर बच्चो को अच्छे स्कूल में भेजते हैं जिससे
उनका भविष्य उज्जवल हो सके वहाँ अगर ऐसी घटनाएं होंगी तो फिर देश और कानून के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या हो
सकती है आज हम इसी विषय में बात करेंगे।
बाल शोषण का मुख्य कारण परिवार की आर्थिक स्थिति या सगे माँ बाप का न होना है और
कभी कभी घर के बाहर अजनबियों द्वारा भी होता है राज्य सरकार को ऐसी संस्था का गठन
करना चाहिए जो ऐसे बच्चों को इससे मुक्त कराकर उन्हें अच्छी शिक्षा और तकनिकी
शिक्षा भी दे जिससे वह कम उम्र में अपने पैरों पर खड़े हो सके और साथ ही साथ सरकार
को ऐसे गरीब परिवार की मदद भी करनी चाहिए जिससे देश का भविष्य कही गलत राह पर न
भटके और देश का हर एक हिस्सा तकनिकी कार्यों में सक्षम होकर चीन जैसी तरक्की
करे।
रही बात स्कूल परिसर में मोबाइल लाने कि तो स्कूल परिसर में मोबाइल लाने पर रोक
लगाना गलत होगा क्यूंकि बदलते जमाने के साथ यह हमारी महत्वपूर्ण जरुरत या हमारे
शरीर का एक हिस्सा बन गया है जब हम कभी कभी मोबाइल जेब में नहीं रखते तो हमें कुछ
कमी सी महसूस होती है मोबाइल से हर किसी को एक सहूलियत सी मिलती है हमारा बच्चा
कहाँ पर है या कहाँ पहुंचा है या कब आयेगा या रास्ते में ट्राफिक ज्यादा हो गया है
हर तरह की सूचना मिलती है वही बहुत से नुकसान भी है बच्चे इस मोबाइल के जरिये गलत
तरह के विडियो जैसे अपराधिक विडियो या पोर्न विडियो या कोई भी गलत एक्टिविटी बहुत
जल्दी सीखते हैं और अपने दोस्तों से साझा भी करते हैं जोकि बुरा प्रभाव डालता हैं
शिक्षा संस्थानों को मोबाइल परिसर में लाना तो अलाउ करना चाहिए लेकिन क्लास में
लाने पर रोक लगानी चाहिए और मोबाइल कंपनी को चाहिए की वह कोई ऐसी टेक्नोलॉजी का
मोबाइल बनाये जिसमें बच्चे शिक्षा और ज्ञान से जुड़े विडियो तो देख सके लेकिन
अपराधिक गतिविधियों या एडल्ट विडियो न देख सकें या देखते ही उसकी नोटीफीकेशन पेरेंट्स
को मिले ताकि देश का आने वाले भविष्य गलत रास्ते पर न जाये।
स्कूल और कॅालेज को हफ्ते में एक ऐसा पीरीयड भी रखना चाहिए जिसमें विडियो के
जरिये या मौखिक रूप से बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में जागरूक कराया जाये
और अपने समाज में अजनबियों से कैसे दूर रहे और पहचान सके कि समाज का कौन सा आदमी
उनके बारे में बुरी नियत रखता है और स्कूल में पनिशमेंट की भी एक सीमा निर्धारित
होनी चाहिए जिससे कोई भी शिक्षक छात्रों को गलत सजा न दे सके और सरकार को भी ऐसे
शिक्षा संस्थानों को 2-3 वर्षों में पुरस्कार देना चाहिए जहाँ 2-3 वर्षों में कोई
अपराधिक गतिविधि नहीं हुई हो और जहाँ के छात्र सबसे ज्यादा जागरूक हैं बाल शोषण को
लेकर ताकि देश के हर एक शिक्षा संस्थानों में बेहतर बनने की एक प्रतिस्पर्धा शुरू
हो और तभी आने वाले समय में बाल शोषण पर लगाम लगायी जा सके।
आज टेक्नोलॉजी के इस दौर में देख रेख करने के लिए काफी कम खर्चे में स्कूल
कॅालेज चाहे तो अच्छी सुरक्षा व्यवस्था कर सकता है स्कूल चाहे तो अपने परिसर में
सी सी टी वी लगाकर सारे स्कूल परिसर पर नज़र रख सकता है लेकिन बाल शोषण के बढ़ते इस
दौर में स्कूल और कॅालेज कोई सख्त कदम इसलिए नहीं उठाता क्यूँकि उनके खुद के बच्चे
उस स्कूल में नहीं पढ़ते वह खुद के बच्चों को और भी अच्छे स्कूल में भेजते है और जब
खुद के बच्चों की सुरक्षा का सवाल न हो तो कोई सख्त कदम क्यूँ उठाये, वह लोग
अभिभावकों से तो तगड़ा पैसा वसूलते हैं शिक्षा के नाम पर और हर तिमाही या छमाही
किसी न किसी बहाने से बच्चों से 250-300 रुपये या उससे ज्यादा किसी न किसी प्रोजेक्ट के लिए स्कूल अलग
से वसूलता है । कुछ स्कूल में तो साइकिल या बाईक पार्क करने के भी बच्चों से पैसे
लिए जाते हैं अभिभावक बच्चों के भविष्य के बारे में सोचकर भी कॅालेज यह मनमानी
चुपचाप सहते हैं चाहे वह कितना ही बड़ा नेता या कितना भी धाकड़ आदमी क्यूँ न हो वह
समाज में हर किसी से अपने ढंग से क्यूँ ना डील कर हो लेकिन ऐसे स्कूल के सामने भीगी
बिल्ली बन जाता है सरकार भी इस मामले में कुछ ख़ास कदम नहीं उठाती ऐसे स्कूल के
खिलाफ। आज के दौर में एक आम आदमी की कमर
स्कूल कॅालेज की फीस तोड़ देती है वह सारी जिंदगी फीस देते देते परेशान रहता है और
अचानक पता चलता है कि उसके बच्चे की मौत स्कूल या कॅालेज में यौन शोषण या टीचर के
किसी पनिशमेंट या कॅालेज में रैगिंग से हुई है तब तो उनकी दुनिया ही उजड़ जाती है
माँ बाप जिसको लेकर अपने बुढ़ापे के दिन सुरक्षित कर रहे थे वही अचानक उसके साथ ऐसा
हादसा हो गया और ऐसा होने पर एक अभिभावक अपना बच्चा ही नहीं खोता बल्कि यह देश भी
अपना एक बच्चा खोता है क्यूंकि बच्चे देश का भविष्य होते है सेकड़ों में एक ही काफी
होता है देश को बदलने के लिए देश को तरक्की की राह में आगे ले जाने के लिए और कौन
सा बच्चा आने वाले समय में इस देश को तरक्की के किस ऊँचाई तक ले जायेगा यह कोई
नहीं जानता, पी एम कोई एक ही बनता है जो इस देश को संसार में उचाईयों की नयी जगह
दिलाता है उस पर किसी आमिर गरीब परिवार की छाप नहीं होती, एक ही काफी होता है देश
के सैकड़ों लोगों का भला करने के लिए क्यूँकि जब देश की तरक्की होगी तभी देश के हर
एक नागरिक की, एक आम आदमी की असली तरक्की होगी इसलिए हमें अपने देश के इन कीमती धन
को सुरक्षित रखना चाहिए सरकार को ऐसे शिक्षा संस्थानो को बंद करवा देना चाहिए और प्रबंधकों के खिलाफ
सख्त कार्यवाही करनी चाहिए ताकि बाकि के शिक्षा संस्थान भी एक अच्छा सबक ले सकें। बाल
शोषण करने वालों के खिलाफ ऐसी सजा तय करनी चाहिए जिसे सुनकर ऐसे अपराध करने की
सोचने वालों की रूह तक काँप जाये और ऐसे काम करने से पहले वह सजा की सोचें।
देश में बढ़ते हुए अपराधों का मुख्य कारण सख्त कानून का न होना है जिस वजह से
लोग आज अपराध करने से पीछे नहीं हटते अगर सजा सख्त होगी तो लोग अपराध करने से पहले
सजा के बारे में सोचेंगे और इससे अपराध रोकने में काफी मदद मिलेगी अगर देश में
पहले से ही सरकार ने सही कदम उठाये होते इस मामले में तो देश में शिक्षा संसथान
में इस तरह से बाल शोषण न बढ़ते। अभिभावकों को भी चाहिए थोड़ा जागरूक रहे अपने समाज
में आस पास के लोगों में, की उनके बच्चों के प्रति आस पास के लोगों का रवैया क्या
है किसी का देखने का या छूने का अंदाज़ कुछ अलग तो नहीं या अपने रिलेटिव्स जो घर पर
आते हैं उनका व्यवहार कुछ अलग तो नहीं माँ बाप या अभिभावकों को इस चीज का खास
ध्यान रखना चाहिए वैसे बच्चे हर बात घर में बोल ही देते हैं कि आज स्कूल या ट्यूशन
में क्या हुआ था लेकिन कई बार उनके मन में डर भी बैठ जाता है वह इतने डर जाते हैं
उस इंसान से जिसने उनके साथ कुछ दुर्व्यहार किया है उसके खिलाफ कुछ बता नहीं पाते
अपने अभिभावकों को या फिर कभी कभी माँ बाप भी इतने सख्त होते हैं वह अपने बच्चों
को इतना डरा कर या मार पीट कर रखते हैं कि बच्चे चाहकर भी अपने साथ हो रहे
दुर्व्यहार को बता नहीं पाते और चुपचाप सहते रहते हैं उन्हें डर यह रहता की कही
माँ बाप ही उल्टा उन पर डांट या मार की बौछार न शुरू कर दें और ऐसा बच्चों के साथ
ही नहीं घर में टीनेजर लड़कियों के साथ भी होता वह अपनी सुरक्षा घर से ज्यादा बाहर
या बाहरी लोगों में ढूँढ़ती है जिसका फायदा बाहर के लोग उठाते हैं वह थोड़ी सी
हमदर्दी दिखाकर बाद में गलत फायदा उठा लेते हैं फिर बाद में वह इतनी डर जाती हैं
कि अपने साथ हुए हैरसेमेंट को किसी को बता भी नहीं पाती और कुछ गलत डीसीजन ले लेती
हैं और जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है तो माँ बाप पछताते हैं कि हमें उनके साथ सख्त
नहीं रहना चाहिए था नहीं तो ये हादसा न होता इसलिए वक़्त रहते संभल जाना अच्छा है अभिभावकों
को अपने मासूम बच्चों और टीनेजर बच्चों के साथ फ्रैंक रहना चाहिए ताकि वह अपना हर
अच्छा और बुरा मोमेंट बाँट सके और अगर कोई परेशानी है जिंदगी में तो उसे साथ मिलकर
सुलझा सकें और हमारे घर में बच्चे नहीं भी हैं तो क्या हुआ हमारी भी कुछ
जिम्मेदारी है इस देश और समाज के लिए। अपने आस पास हो रहे बच्चों से दुर्व्यहार को
अनदेखा न करें उसके खिलाफ आवाज उठाएं और ऐसी सूचना उचित संस्थाओ को दे या पुलिस को दे हमारे आस पास का माहौल और समाज सुरक्षित
रहेगा तभी हमारा परिवार सुरक्षित रहेगा इसलिए आईए बदलते भारत के बढ़ते कदम में अपनी
साझेदारी दें और हम भी एक बेहतर समाज की नीवं रखे। हम अपने आस पास हो रहे अपराध का
जिम्मेदार सरकार और पुलिस को तो बहुत आसानी से बना देते हैं लेकिन हम इस बात पर
ध्यान नहीं देते की ऐसे गतिविधियों का जिम्मेदार भी हम सब में से कोई एक है इसलिए आईए एक
सच्चे देशवासी का कर्तव्य निभाएं अपने आस पास हो रहे बाल शोषण को रोकें और एक
बेहतर समाज बनाएं।
By
Sandeep Kumar Sunder